Tuesday, October 18, 2011

Lone Remembrance

ज़िन्दगी बीत गयी तेरे इंतज़ार में पर तू न आई,
आज भी भींच रखा है हाथों में अपने,
जिसमे है तेरी खुशबू समाई ,
पहली बारिश में जो हमने साथ बिताया था,
वो अधुरा चन्द्रमा जिसके सामने,
तुने मुझे सीने से लगाय्द था,
याद है मुझे वो बेल की फूलों से तुम्हरे केश संवारना,
वो तुम्हे बस होले से बिस्तर पे बिठाना,
और घंटो तक निहारना,
अपने बाजूं में उठा तुम्हे यूँ धीरे धीरे चलना,
वो तुम्हारा मुझे बहोने में जकड़ना,
फिर धीरे धीरे मचलना,
आज भी परे है सूखे पन्ने में लिखी तेरी प्रेम कहानी,
वो छोटे छोटे जज्बात ओर मुश्कुराते अल्फाज,
ओर उन्ही पन्नो में सूखे फूल है तेरे प्यार की निशानी,
स्वांस लूं या गिनूं अपनी धड़कन,
हर पल बसी है तू मेरे कण कण में ,
बन के मेरा जीवन,
है मोल क्या मेरे जीवन का अगर तू नहीं है पास मेरे,
है कौन मेरा अपना यहाँ सिवा तेरे,
पर समझ नहीं आता क्यों दूर चली गयी तू मुझसे,
ऐसी थी क्या खता मेरी है क्यों तेरी ऐसी रुसवाई,
आज भी भींच रखा है हाथों में अपने,
जिसमे है तेरी खुशबू समाई ,
ज़िन्दगी बीत गयी तेरे इंतज़ार में पर तू न आई,

No comments:

Post a Comment