वहां बैठे बैठे कुछ इधर कुछ उधर किया करते थे,
छोटी छोटी बातों से बड़े सपने संजोया करते थे,
कभी सिक्के की थाप पे प्यार का इज़हार होता था,
कभी सुनहरी धुप में अथ्केलियों का हिसाब हुआ करता था,
कुछ धकियाते कुछ मुश्कुराते हम दिन को रात किया करते थे,
ऐ दोस्त याद है तुम्हे वहीँ नुक्कड़ पे हम चाय पिया करते थे !
सिलवटों में बिस्तर के न जाने कितने राज बताया करते थे,
कभी इसका कभी उसका कभी न जाने किसका किया करते थे,
कभी मुंडेर पे कभी छत पे पैमाना छलकता था,
कभी जगजीत कभी फ्लोयड में जमाना बहकता था,
कभी कंप्यूटर पे गाडिओं की दौड़ लगाया करते थे,
ऐ दोस्त याद है तुम्हे वहीँ नुक्कड़ पे हम चाय पिया करते थे !
न जाने कितनी रातें उन रातों की याद में बिताई हमने ,
भींगे पलको से तुम्हारी उन तस्वीरो को सीने से लगाया हमने,
कास वहां हम होते तो कुछ कर पाते,
तुझे खुदा से छीन लाने को हद से गुजर जाते,
कम्बक्थ दिल शाला आज भी धक् से रुक जाता है,
उन वक़्त की कंदराओं में आज भी सिमट जाता है,
वही कहीं हम एक दुसरे से आथ्खेलिआन किया करते थे,
ऐ दोस्त याद है तुम्हे वहीँ नुक्कड़ पे हम चाय पिया करते थे !
छोटी छोटी बातों से बड़े सपने संजोया करते थे,
कभी सिक्के की थाप पे प्यार का इज़हार होता था,
कभी सुनहरी धुप में अथ्केलियों का हिसाब हुआ करता था,
कुछ धकियाते कुछ मुश्कुराते हम दिन को रात किया करते थे,
ऐ दोस्त याद है तुम्हे वहीँ नुक्कड़ पे हम चाय पिया करते थे !
सिलवटों में बिस्तर के न जाने कितने राज बताया करते थे,
कभी इसका कभी उसका कभी न जाने किसका किया करते थे,
कभी मुंडेर पे कभी छत पे पैमाना छलकता था,
कभी जगजीत कभी फ्लोयड में जमाना बहकता था,
कभी कंप्यूटर पे गाडिओं की दौड़ लगाया करते थे,
ऐ दोस्त याद है तुम्हे वहीँ नुक्कड़ पे हम चाय पिया करते थे !
न जाने कितनी रातें उन रातों की याद में बिताई हमने ,
भींगे पलको से तुम्हारी उन तस्वीरो को सीने से लगाया हमने,
कास वहां हम होते तो कुछ कर पाते,
तुझे खुदा से छीन लाने को हद से गुजर जाते,
कम्बक्थ दिल शाला आज भी धक् से रुक जाता है,
उन वक़्त की कंदराओं में आज भी सिमट जाता है,
वही कहीं हम एक दुसरे से आथ्खेलिआन किया करते थे,
ऐ दोस्त याद है तुम्हे वहीँ नुक्कड़ पे हम चाय पिया करते थे !
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